आपने hindi shayari तो बहुत सारी पड़ी होगी लेकिन आपके इसी hindi ghazal नही पढ़ी होगी जो आपको अपनी कहानी से जोड़ देगी । Hindi ghazal को पढ़ना पसंद करते है तो आपको इसमें बहुत सारा best ghazal है ।
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Table of Contents
Sad Hindi ghazal
बिछड़े कर फिर मिले जो हाल पूछेंगे
मेरे बिना कैसे गुजरे साल पूछेंगे
नहीं मुझ सा कोई आशिक जमाने में
मुझे मालूम है फिलहाल पूछेंगे
अदालत में है ये पैसा वकीलों का
सवालों से ही हाल ओ चल पूछेंगे
यही रास्ता अगर संसद भवन का है
चलाए कब तलक हड़ताल पूछेंगे ।।
दीपक दुबे
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Badte chalo hindi ghazal
मयूसियो के दायरे बड़ते चले गए
ये हाथ टूटी टहनी पकड़ते चले गए
किस्मत का लिखा कौन मीठा पाया है बोलो
हाथो की लाकियो से हम लड़ते चले गए
फिर से नए सफर में मुसाफिर निकल गया
ख्वाबों के खेमे जड़ से उखड़ते चले गए ।।
जब भी मिले तो हम ने गले से लगा लिया
दुनिया के पैंतरे हमे जकड़ने चले गए ।।
उन के दिलों में खोट भरी थी कगार तक
हम उन का भोला चेहरा पड़ते चले गए ।।
Jab kabhi Dil se hindi ghazal
जब कभी दिल से दिल मिलता है
हाथ में तब गुलाब मिलता है
मुस्कराहट सजाती चेहरा
प्यार तब वे हिसाब मिलता है ।।
जुल्फ से खेलती है उंगलियां
चांद भी बे नकाब मिलता है ।।
झुकी नजर इशारे करती है
खामोशी में जवाब मिलता है ।।
जमाना उंगलियां उठाता है
सीने में इंकलाब मिलता है ।।
Uda le jaunga Hindi ghazal ( kumar vishwas hindi ghazal)
मैं तो झुका हूं हवाओ का उड़ा ले जाऊंगा
जागते रहना तुझे तुझे चुरा ले जाऊंगा
हो के कदमों पे निछावर फूल ने बूट से कहा
खाक में मिलाकर भी मैं खुशबू बचा ले जाऊंगा
कौन सी शाय मुझको पहुचाएंगी तेरे शहर ,
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊंगा ।।
कोशिश मिटते मिटने की भले हो कामयाब
मिटते मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊंगा ।।
शोहरत जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गए
सब यहां रह जायेगी मैं साथ क्या ले जाऊंगा ।।
Dr. Kumar Vishwas
इरादा था हिन्दी ग़ज़ल
इरादा था की में कुछ देर तुफा का मजा लेता
मगर बेचारे दरिया को उतर जाने की जल्दी थी
में अपनी मुठिया मैं कैद कर लेता जमीनों को
मगर मेरे काबिले को बिखर जाने की जल्दी थी
में आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहां हर एक मौसम को गुजर जाने को जल्दी थी। ।
वो शाखों से जुड़ा होते हुए पत्तों से हस्ते थे
बड़े जिंदा नजर थे जिनको मार जाने को जल्दी थी
में साबित किस तरह करता की हर आइना झूठा है
कोई कमजर्फ चेहरे को उतर जाने की जल्दी थी ।।
कोई आसू को कागज hindi Ghazal
कोई आसू को कागज भिगो जायेगा
मीर जैसा कोई शेर हो जायेगा
एक मिसरा हूं मैं एक मिसरा हो तुम
दोनो मिल जाए तो शेर हो जायेगा ।।
घर पहुंच के खुशी तो मिलेगी मगर
घर पहुंच कर सफर खत्म हो जाएगा ।।
वो तब्बासुम जो रुखसत करेगा तुझे
मेरी पलकों में मोटी पिरो जायेगा ।।
Badalta Hua Mausam hindi ghazal
बदलता हुआ मौसम है मेरे दिल के बारा का
जब दिल में हो अंधेरा क्या करे चराग का
सुर ताल को गए मेरे जाने अब किस गली
अब मंच पर गायन नही कल्याण रंग का
मुझ को लपेट लेगी ये विरह की अंधिया
पर अंत नहीं होगा मेरे दिल की आग का ।।
मेरे दिल को न बहाओगे न सवाल तुम करो
एक तरफा फैसला है जीवन के भाग का
तुम पे ना कोई तोहमत इल्जाम न कोई
क्यों हो रहा है चर्चा मेरे अंचल के दंग का। ।।
Kisi Ne kya khoob likha hindi ghazal
किसी ने क्या खूब लिखा है
मुझे बस तेरा वो साथ चाहिए
माना मेरी जिंदगी की शुरुआत तुझे नही हुई
पर इसके आखिरी पल तक मुझे तुम्हारा साथ चाहिए
तेरे कंधे पर सर रख कर जो मेरे चेहरे पे मुस्कान आती है
मुझे हीरे मोती नही बस मेरी वो मुस्कान चाहिए ।।
साज शिनगर क्या सजाएंगे मुझे साथ सज जाती है
मेरी रूह भी मुझे बस तेरा वो साथ चाहिए ।।
यूं जब एक लम्हों मुस्करा कर देखते हो तुम मुझे मिल
जाता है मुझे जहां मुझे बस हमारा वो जहा चाहिए ।
दिन महीने सालों में हिसाब। नही आता मुझे मुझे तो बस
हर पल ने तेरा साथ चाहिए ।।
Tere rishte ki baat hui / Tere Rishte Ki BAAT
तेरे रिश्ते की बात हुई
यहां अश्कों की बरसात हुई
वहां फैली रुपहली चमक धमक
यहां शाम से पहले रात हुई
सब गौर करे हालत पे मेरी
आशिक की जंग में मात हुई
बारात गली तक आ पहुंची
बदल से मेरी मुलाकात हुई
मेरे शहर में चर्चे होने लगे
मेरी कितनी औकात हुई ।।
जा डूबे सारे मंसूबे
एक अजब यहां वारदात हुई ।।
Naraj hoon hindi ghazal
नाराज हूं में जिंदगानी से
परेशा हूं कड़ी निगरानी से
इतना मेरा नाता लोगो से
जैसे जागा का रिश्ता पानी से
अब शुभचिंतक मिलते है काम
बदकार मिले आसानी से
इस घर में चैन का नाम नहीं
लड़ती हूं जब विरानी से ।।
इस दिल में उठते बलावले
मांगा था चैन जवानी से
अपने को रखना है महफूज
दुनिया की कारिस्तानी से ।।
आसरा कोई नही हिंदी ghazal
मित्र गई दुनिया हमारी आसरा कोई नही
बात ली खुशियां सभी ने हम बाटता कोई नही
बीच अपनी के भी रहकर लग रहा है ये मुझे
अजनबी हूं इस शहर में जनता कोई नही ।।
कैसे रिश्तेदार है ये कैसी है ये दोस्ती
दौरे मुस्कील में हमारे काम आता कोई नई ।।
चैन दिन को है ना रातों को सुकून पाए है हम
दर्द से फिर भी हमारे आशना कोई नही ।।
अपन तो सब हमदर्द हैनौर हमनता भी है मगर
साथ गुरबत में जो दे दे ऐसा मेरा कोई नही
मंजिले राहत पर पहुंच किस तरह तूं ही बता
रहगुजर है और में हूं कारवां कोई नही ।।
जा के किसको हम सुनाए हाले दिल तू ही बता
सुनने वाला गम की मेरे दस्ता कोई नही ।।
गम के साए में है गुजरी उम्र भर ये जिंदगी
दर्द की मेरे खुदाया क्या दावा कोई नही
खा रहा है ठोकर जाफर तन्हा परदेश में
रहबरी करने को मेरी रहनुमा कोई नही
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