Hello दोस्तो आज एक बहुत ही अच्छे topic पर kavita लेके आया हूं। अगर आप desh bhakti kavita in hindi search कर रहे है तो आप सही जगह आए है। इसमें आप desh bhakti kavita सभी मिल जाए। देश भक्ति कविता इन हिंद में प्राप्त होगी।
दोस्तो, हमने अपने बचपन में कभी न कभी अपने 15 August को desh bhakti kavita बोली जरूर होगी। और देश भक्ति को जो बोलने का जोश होता था। व्यक्त नही कर सकते थे। लेकिन अभी स्कूल छूट गया है कॉलेज लाइफ में आ गए है इन कविताओं को आप भी मिस करते होंगे
इसलिए हमने desh bhakti kavita पर एक विशेष collection तैयार किया है। इसमें आपको बचपन की लगभग सारी कविताएं मिल जायेगी। जिसको आपने अपने बचपन में बोला होगा। अगर अपने पन्द्र आगस्त को स्टेट्स लगाना चाहते है या ग्रुप में शेयर करना चाहते है तो भी आप कर सकते है।
तो चलिए desh bhakti kavita पढ़ते है……।।।
Table of Contents
Sare jaha se achha hindustan hamara –
Desh bhakti kavita
सारे जहा से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा,
हम बुलबुले है इसकी वह गुलिस्ता हमारा।
गुर्बत में हो अगर हम रहता है दिल वतन में
समझो वही हमे भी दिल हो जहा हमारा,
पर्वत वो सबसे उठा हम साया आसमा का
वो संतरी हमारा वो पासवा हमारा,
गोड़ी में खेलती है जिसकी नदिया,
गुलशन है जिसके दम से रसके जीना हमरा।।
ए आवे रोंदे गंगा वह दिन है या तुझको,
उतारा तेरे किनारे करवा हमारा।।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
हिंदी है हम वतन है हिंदोस्ता हमारा
यूनान मिस्र रोमा सब मिट गए जहा से
अब तक मगर है बाकी नमो निशा हमारा
कुछ बात है हस्ती मिटती मिटाए
सदियों रहा है दुश्मन दौरे निहा हमारा,
सारे जहा से अच्छा हिंदोस्ता हमारा,
हम बुलबुले है इसकी यह गुलिस्तां हमारा।।
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देश भक्ति की कविता | desh bhakti kavita in hindi
सरफरोसी की तमना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाज ए कातिल में है
करता नही क्यो दूसरा कुछ बातचीत
देखता हूं मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल में है
ए शाहिद ए मूलक ओ मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की हमफिल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमान ,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है
खैच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मीद
आशिकों का आज जमघट कच ए कातिल में है।।
यूं खड़ा मक़तल में कातिल कह रहा है बार बार
क्या तामना ए शहादत भी किसी के दिल में है
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो खून ए जुनून
तूफानी से क्या लड़े जो कश्ती ए साहिल में है।।
हाथ जिन में हो जुनू कटते नही तलवारों से
सर से उठ जाते है वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है।।
है लिए हथियार दुश्मन तक में बैठा उधर
और हम तैयार है सुना लिए अपना इधर
खून से खेलेंगे होली पर वतन मुश्किल में है।।
हम तो घर से निकले ही थे बंधकर सर पे कपन
जाना हथेली पर लिए लो बढ चले ये कदम,
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफिल में है।
दिल में तूफानों की टोली और नसों में इन्कलाब
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज।
दूर रह पाए जो हमसे दम कहा मंजिल में है
Best desh bhakti kavita in hindi। | देश भक्ति कविताएं हिंदी में
Ye dharti hai balidan ki kavita in hindi
आओ बच्चो तुम्हे दिखाए झांकी हिंदुस्तान की
इस मिटी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।
उतर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना की के तट को देखो गंगा का ये घाट है।।
बाट बाट पे हाट हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरे अपने गौरव की अभिमान की
इस मिटी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की ।
ये अपना राजपूताना नाज इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कतारों पे,
ये प्रताप का वतन पला है आजादी के नारों पे।
कूद पड़ी थी यह हजारों पद्मिनी निया अंगारों पे।
बोल रही है कण कण से बर्बानी राजस्थान की।
इस मिटी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।
देखो मुल्क मराठों का ये यह शिवाजी डोला था,
मुगलों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था।
हर पर्वत पे आग लगी थी है पत्थर एक शोला था
बोली हर हर महादेव की बच्चा बच्चा बोला था
यह शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिटी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।।
जलीय वाला बाग ये देखो यह चली थी गोलियां
ये मत पूछो किसने खोली यह खून की होलिया,
एक तरफा बंदूके दन दन एक तरफ थी तोलिया
मरनवाले बोले रहे थे इंकलाब की बोलिया
यह लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मीठी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।।
ये देखो बंगाल यह हर चप्पा हरियाला है।
यहां का बच्चा बच्चा अपने देश पे मरने वाला है।
ढाला है इसको बिजली ने भूचलों ने पाला है।
मुट्ठी में तूफान बांधा है और प्राण पे ज्वाला है।
जन्मभूमि है यह हमारे वीर सुभाष महान की
इस मीठी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की…!!
Bharat Mera naam Desh bhakti kavitae | भारत देश पर कविता हिन्दी में
भारत तुझे मेरा नाम है
भारत तू ही मेरा धाम है।
भारत मेरी शोभा शान है
भारत मेरा तीर्थ स्थान है।
भारत तू मेरा सम्मान है
भरता तू मेरा अभिमान है।।
भारत तू धर्मो का ताज है
भारत तू सबक्का समाज है
भारत तुझे गीता सार है
भारत तू अमृत की धार है
भारत तू गुरुओं का देश हैं
भारत तुझमें सुख संदेश है।।
भारत तुझपे जा निसार है
भारत तुझको नमस्कार है।।
Desh bhakti kavita in hindi
हरी भरी धरती हो, नीला आसमान रहे,
फहराता तिरंगा, चांद तारों के समान रहे,
त्याग शुर वीरता, महानता का मंत्र है,
मेरा यह देश, एक अभिनव गणतंत्र है,
शांति अमन चैन रहे, खुशीहाली छाए,
बच्चो को बूढ़ों को सबको हरशर्य
हम सबके चेहरों पर फैली मुस्कान रहे,
फहराता तिरंगा चांद तारों के समान रहे।।।
Desh bhakti kavita hindi
क्या हुआ गर मर गए अपने वतन के वास्ते,
बुलबुले कुर्बान होती है चमन के वास्ते,
तरस आता है तुम्हारे हाल पे ए हिंदियो,
गैर के मोहताज हो अपने कफन के वास्ते,
देखते है आज जिसके शाद है आजाद है,
क्या तुम्ही पैदा हुए रंजो मिहन के वास्ते?
दर्द से अब बिलबिलाने का जमाना जो चुका
फर्क करनी चाहिए मर्ज कुहन के वास्ते।।
हिंदियों को चाहिए अब कसद कबे का करे
और फिर मुस्लिम बडे़ गंगो जमन के वास्ते।।
Desh tabi banta desh bhakti kavita
अलग अलग गलियों कूचो में लोग कौन गिनता है,
साथ खड़े हो रहने वाले, देश तभी बनता है,
बड़ी बड़ी हम देश प्रेम की बात किए जाते है
वक्त पड़े तो अपनी के भी काम नही आते है
सरहद की रखवाली को सेना अपनी करती है,
पर अंदर सड़कों पर लकड़ी चलने में डरती है।
युवा शक्ति का नारा सुनने में अक्सर आता है
सही दिशा भी किसी युवा को नही दिखा पाता है,
खेत हमारी पूंजी है और फसल हमारे गहने,
क्यों किसान फिर कही लगे है, जान स्वय की लेने।।
थल सजा है कही परंतु भूख नहीं लगती है,
किसी की बेटी भूखी के मारे रात रात जागती है
क्या सड़सठ सालो मेने आजाद वतन अपना है,
कया यही भगत सिंह और महत्मा गांधी का सपना है,
क्या इसलिए आजादी खुद को मारी
क्या इसलिए रण में कूदी वह नानी सी झलकारी,
क्या इसलिए बिस्मिला ने फिर आऊंगा कह डाला था,
क्या उधम सिंह ने क्रोध को अपने इसलिए पाला था,
गर नही तो फिर कैसे चुके हम राष्ट्र नया गढ़ने में,
जिस आजादी लिए लड़े उसकी इज्जत करने में।।
जो फूल सुख कर बिखर गया वह फिर से नही खिलेगा,
जो समय हाथ से निकल गया वह वापस नही मिलेगा।।।
पर अकलमंद को एक इशारा ही काफी होता है
सुधार हो हर गलती किए असली माफी होता है,
देश प्रेम और राष्ट्रवाद के गान नही गाओ तुम
अपने अंदर बसे भगत सिंह को जरा जगाओ तुम
मंजिल दूर नही रही जब करले अटल इरादा।।
आपा हाथ उठा कर खोद से आज करो ये वादा,
मेरे सामने कोई भी भूख से नही मरेगा,
मेरे रहते अन्याय से कोई नही डरेगा।।
में पहले उसका जिसकी तत्काल मदद करनी है
अपने आगे हर पीड़ित की हर पीड़ा हरनी है।।
शपत ग्रहण कर आजादी का उत्सव आज मनाते है
देश बुलाता है आओ आप कुछ काम तो इसके आते है।।
वंदे मातरम –
Desh bhakti kavita best poem in Hindi
हंसते हंसते चढ़ गया वो
फाशी पर देश का लाल
शिकन नही थी माथे पर
जबाज़ी थी उसमे कमाल
शहादत भरी थी शिराओं में
हर कतरा लहू का बोला
मेरा देश मेरी शान
इसकी आन पे सर्वस्व कुर्बान
शत शत नमन तुझे है
ए भारत के वीर सपूत
कयामत तक ना भूलेंगे तेरी भक्ति
भारत मां के प्रति अटूट
जवा रहेगा हर भारतीय दिल में
देश प्रेम का शोला
मेरा देश मेरी शान
इसकी आन पे सर्वस्व कुर्बान ….;;
यह मेरा हिंदुस्तान है । देश भक्ति कविता
इस देश से ही मेरी पहचान है
यही मेरा दिल।यही मेरी जान है
है यह मेरा भारत जो की महान है
यह रहती बार कौम रहते पठान है
हा यह मेरा हिंदुस्तान है।
लड़ते है सुबह एक होते बार शाम है।
उगती हर फसल उगते यह धान है
तभी तो मेरा भारत देश महान है
हा यह मेरा हिंदुस्तान है।।
कोई आंख उठा कर देखे भी तो कैसे
इसकी रक्षा में खड़े हर नौजवान है।
हा यह मेरा हिंदुस्तान है।।
Kavita desh bhakti par | poem on desh Bhakti
तुझको नमन मेरे वतन
फूल हम तू है चमन
तेरी रक्षा को करे गमन
तुझसे ही है यह तन मन
आंख जो कोई उठाए
आग दरिया में लगाए
दुश्मन को दौड़कर भगाए
तिरंगे को हमेशा
चारो दिखाओ में फैलाए,
तेरी खातिर मार भी जाए,
जान पर अपनी खेल जाए
तुझको नमन मेरे वतन
फूल हम तू चमन।।।
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