हेलो दोस्तों आज हम gulzar ki shayari पढ़ेंगे । जिसे हमने कही बार किसी न किसी जगह जरूर हूं । ये इतनी अच्छा और खास पोस्ट आप एक बार पढ़ोगे तो आप बार बार पढ़ोगे।
इसमें दी गई शायरी सारी orignal aur Gulzar ki shayari है । हूं उम्मीद है आपको ये अच्छा लगेगा और आप इसे पढ़ कर खुश होंगे ।।
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Gulzar shayari in Hindi |
Table of Contents
Gulzar ki shayari
Best Gulzar shayari
Gulzar shayari in hindi
Gulzar famous shayari “तन्हा” shayari
ज़िंदगी यूँ हुयी बसर तन्हा,
काफिला साथ और सफर तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं,
उम्र गुजरी है इस कदर तन्हा
रात भर बोलते हैं सन्नाटे,
रात काटे कोई किधर तन्हा
दिन गुज़रता नहीं है लोगो में,
रात होती नहीं बसर तन्ह
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Gulzar ki kavita : tanha
हमने दरवाज़े तक तो देखा था,
फ़िर न जाने गए किधर तन्हा
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
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“Talaash” gulzar ki kavita
मेरे बदन से आती है आपकी खुश्बू
आप यूँ मेरे आगोश में ना आया कीजे
मैं साँस लूँ तो लगे ये हैं आपकी साँसे
मेरी साँसो में सनम यूं ना समाया कीजे
दिल की धड़कनो पर मेरा इख़्तियार नहीं
दिल की धड़कनो को यूँ ना बढ़ाया कीजे
क्यों रोज आप जाने की बात करती हैं
हर रात हमको सनम यूं ना सताया कीजे
सारी उम्र आप ही को तो चाहा है ‘जय’
पल दो पल के लिए सनम बन जाया कीजे
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हमे उम्मीद है आपको हमारी पोस्ट gulzar ki shayari पसंद आई होगी । अगर आपके भी कोई दोस्त या मेंबर जिसको इसी शायरी पढ़ना का शौक रखते है उन्हे ये जरूर सेंड करे जिससे उन्हें भी इसी शायरी पढ़ने का मौका मिले ।