Dard bhari shayari 
by barfa

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Barfa 

उसे पता ही नही था । 
मुझे किस बार का दुख है ।।

Barfa 

शिकायत थी उनसे, कोई सुनता नहीं, 
बेवफा तो है वो लेकिन दिल समझता नही

Barfa 

खयाल जो भी रखते हो दिल में ये तो बताओ 
मोहब्ब्त में किसी खास रखते हो

Barfa 

छोड़ कर खुश है खयाल अच्छा है 
रकीब की खोली कब तक है ।।

Barfa 

उसने बताया था अपना पहला कदम । 
हम ही दिल की नजरो से देखने बैठ गए ।।

Barfa 

तुझे समझा मोहब्ब्त कैसे,
लगा ये दिल को कैसे ,
बात नही करते हो, अच्छा है।
फोन का बिल इतना ऐसे कैसे ।।

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