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कुमार विश्वास की कविताएं / kumar vishwas kavita
Kumar vishwas , ये name सुनते ही आपके दिखा में आया होगा । कोई दीवाना कहता है kavita yaad आई होगी । Kumar Vishwas abhi shayari aur Kavita ko perform me बहुत ज्यादा famous है। इनकी बहुत सारी कविता और शायरी फेमस है और कुछ kumar vishwash ki Kavita लेके आए है । और आप पढ़ कर fan ho जाओगे ।
बासुरी चली आओ । Kumar Vishwas Kavita
बासुरी चली आओ, होंठ का नियंत्रण है,
तुम अगर नही आई गीत गा न पाऊंगा,
सास साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाऊंगा,
तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है,
बासूरी चली आओ होंठ का नियंत्रण है।।
तुम बिना हथेली ही हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है,
रात की उदासी को याद संग खेला है।
कुछ गलत न कर बैठे मन बहुत अकेला है,
औषधि चली आओ चोट का नियंत्रण है।
बासुरि चली आओ होंठ का नियंत्रण है।
तुम अलग हुई मुझसे सास की खताओ से
भूख की दलीलों से वक्त की सजाओ से
दूरियो को मालूम है दर्द कैसे सहन है।
आंख आंख चाहे पर होंठ से न कहना है।
कचना कसौटी को खोट का नियंत्रण है,
बासुरी चली आओ होंठ का नियंत्रण है।।
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Kumar Vishwas Kavita hindi me / इतनी रंग बिरंगी दुनिया
इतनी रंग बिरंगी दुनिया दो आंखो में कैसे आए,
हमसे पूछो tine अनुभव एक कंठ से कैसे आए
ऐसे उजले लोग मिले जो, अंदर से बेहद काले थे,
ऐसे चतुर मिले जो मन से सहज सरल भोले भाले थे।।
ऐसे धनी मिले जो, कंगालो से भी ज्यादा र्रीते थे,
ऐसे मिले फकीर, जो सोने से घट में पानी पीते थे,
मिले प्रायेपन से अपने, अपनेपन से मिले पराय,
हमसे पूछो इतने अनुभव एक कंठ से कैसे गाए,
इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आंखो में कैसे आए ।।
जिनको जगत विजेता समझा, मन के द्वारे हरे निकले,
जो हारे हारे लगते थे, अंदर से धूर्व तारे निकले,
जिनको पतवारे सौंपी थी, वो भावरो के सूदखोर थे,
जिनको भवर समझ डरता था, आखिर वही किनारे निकले,
वो मंजिल तक क्या पहुंचे, जिनको रास्ता खुद भटकाये।।
हमसे पूछो इतने अनुभव एक कंठ से कैसे गाए,
इतनी रंग बिरंगी दुनिया , दो आंखो में कैसे आए।।
Dr. Kumar Vishwas ki kavitae
मैं तुम्हे अधिकार ढुंगा
मैं तुम्हे अधिकार दूंगा,
एक अनसुघे सुमन की गंद सा,
में अपरिमित प्यार दूंगा,
में तुम्हे अधिकार दूंगा।
सत्य मेरे जानने का ,
गीत अपने मानने का
कुछ सजल भ्रम पालने का
में सबल आधार दूंगा
में तुम्हे अधिकार दूंगा।
ईशा को देती चुनौती,
वर्ती शत स्वर्ण मोती,
अर्चना की सुभ्र ज्योति
में तुम्ही पर वार दूंगा।
मैं तुम्हे अधिकार दूंगा।।
तुम की ज्यो भागीरथी जल
सार जीवन का कोई पल
क्षीर सागर का कमल दल,
क्या अनध उपहार दूंगा,
मैं तुम्हे अधिकार दूंगा।।
Kumar vishwas ki kavita pyar par / प्यार मांग लेना
यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार मांग लेना,
मन को उचित लगे तो तुम प्यार मांग लेना।
दो पल मिले है तुमको यूं ही न बीत जाए,
कुछ यूं करो की धड़कन आंसू के गीत गाए,
जो मन को हर देगा उसकी ही जीत होगी,
अक्षर बनेगी गीता हर ले में प्रीत होगी,
बहुमूल्य है व्यथा का उपहार मांग लेना,
यदि स्नेह जाग जाए अधिकार मांग लेना।
जीवन का वस्त्र बुनना सुख दुख के तार लेकर,
कुछ शूल और हस्ते कुछ हिम्मत ना हार जाना,
आशा की नाव का चढ़ हंसकर ही पर जाना,
तुम भी किसी से स्वपिर्ल संसार मांग लेना,
यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार मांग लेना। ।
आपको kaisa लगा ये पोस्ट । Kumar Vishwas ki kavitayen बहुत ही ज्यादा famous है । हर कोई इनका इनकी कविताओं का fan है। अगर आप kumar vishwash ki shayari और उनकी जीवनी पढ़ना चाहते है तो यह क्लिक करे !